गुजरात के मोडासा में AAP की किसान-पशुपालक महापंचायत:
AAP गुजरात के अरवली जिला स्थित मोडासा शहर में AAP (Aam Aadmi Party) की ओर से आज आयोजित “किसान‑पशुपालक महापंचायत” ने राजनीति और सामाजिक न्याय की दिशा में एक नया संदेश दिया। इस दो दिवसीय अभियान का उद्देश्य किसानों और पशुपालकों की आवाज़ को आवाज़ देना, न्याय की मांग को दबाने की नहीं, बल्कि उसे संस्थागत रूप से सुना जाना सुनिश्चित करना था।

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🌾 गाँव से संसद तक: AAP की किसान‑पशुपालक महापंचायत Modasa, Gujarat
गुजरात के अरवली जिला स्थित मोडासा शहर में AAP (Aam Aadmi Party) की ओर से आज आयोजित “किसान‑पशुपालक महापंचायत” ने राजनीति और सामाजिक न्याय की दिशा में एक नया संदेश दिया। इस दो दिवसीय अभियान का उद्देश्य किसानों और पशुपालकों की आवाज़ को आवाज़ देना, न्याय की मांग को दबाने की नहीं, बल्कि उसे संस्थागत रूप से सुना जाना सुनिश्चित करना था।
🚩 आयोजन का उद्देश्य क्या था?
- दूध मूल्य वृद्धि: हालिया दूध मूल्य निर्धारण में असंतुलन के चलते पशुपालक और किसान निराश थे। इसका विरोध जुलाई 14 को हुई Sabar Dairy की रैली से शुरू हुआ, जहां प्रदर्शन को पुलिस के लाठी‑चार्ज और आंसू गैस जवाब से दबाया गया, और एक व्यक्ति—Ashok Chaudhary—का निधन भी हो गया।
- शांति और न्याय की मांग: महापंचायत का मुख्य उद्देश्य यही था कि इन “न्याय की मांग” करने वालों को क्यों लाठी और आंसू गैस से रोका गया, उसकी निष्पक्ष और सार्वजनिक जांच हो।
- नीतिगत हस्तक्षेप: AAP ने मृतक के परिवार को ₹1 करोड़ मुआवजे की मांग, दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई और दूध की खरीद कीमत में तत्काल वृद्धि की माँग की ।

🏛️ प्रमुख नेतृत्व और राजनीतिक संदेश
दो ज़ोरदार चेहरे AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मोडासा पहुंचकर महापंचायत में भागीदारी की ।
केजरीवाल ने BJP की राज्य सरकार पर सख्त लहजे में हमला बोलते हुए कहा:
“जब किसान‑पशुपालक अपनी मांग लेकर गए, तो उन्हें लाठीचार्ज और आंसू गैस से मारा गया। क्या किसान की आवाज़ दबाना विकास है?”
उन्होंने ये भी कहा कि, “यह सरकार अमीरों की, अडानी की सरकार है—हर ठेका अडानी के पास जाता है”। इसके साथ ही मृतक आशोक चौधरी के परिवार को ₹1 करोड़ मुआवजे की मांग भी की ।
इसुदान गाधवी, जो AAP के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष हैं, ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि महापंचायत के चार मुख्य एजेंडे हैं—
- हत्या स्तर की पुलिस कार्रवाई में शामिल अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा
- सभी प्रदर्शनियों पर दर्ज मुकदमों को वापस लेना
- एक वरिष्ठ न्यायाधीश की अध्यक्षता में जांच समिति गठित करना
- मृतक परिवार को तुरंत मुआवजे का भुगतान।
🧱 पृष्ठभूमि: विरोध की चिंगारी
- जुलाई 14 को शांति पूर्ण रैली के दौरान Sabar Dairy परिसर के बाहर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर लाठी और आंसू गैस से कड़े कदम उठाए, जिसमें कई घायल हुए और एक व्यक्ति की मौत हुई ।
- पुलिस ने 77 नामजद और लगभग 100 अज्ञात आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज किए; 47 लोग गिरफ्तार भी हुए।
- विरोध प्रदर्शन में कैंपस में क्षति, रास्ता रुक जाना, और सुरक्षा बलों के साथ झड़प जैसे हालात बन गए।
🎤 AAP की राजनीति रणनीति
यह महापंचायत AAP की रणनीतिक तैयारी का हिस्सा है:
- गुजरात में AAP की पैठ मजबूत करनी है।
- किसानों‑पशुपालकों, आदिवासियों और स्थानीय समुदायों को साथ जोड़ना है।
- BJP की राज्य में 30 वर्षों से शासन को आरोपों जैसे भ्रष्टाचार, रोटेशनल नीति, और जनविरोधी फैसलों के जरिए चुनौती देना है।
- AAP सांसद चैतर वसावा की गिरफ्तारी को भी मुद्दा बनाकर, ट्राइबल समुदाय के साथ जुड़ाव और राजनीतिक दूरी तय करने की कोशिश की जा रही है।
🧭 मोडासा महापंचायत का प्रभाव
- लोकल समुदायों में जागरूकता और समर्थन बढ़ा है—किसान‑पशुपालक अपनी आर्थिक सुरक्षा और न्याय की मांग को AAP नेतृत्व के साथ जोड़ना शुरू कर चुके हैं।
- राजनीतिक ध्यान आकर्षित हुआ—केजरीवाल‑मान की मौजूदगी से महापंचायत ने राज्य की सियासत में नई हलचल पैदा की है।
- मीडिया में प्रमुखता—न्यूज़ चैनलों और सोशल मीडिया ने इस आयोजन को प्रमुखता से प्राथमिकता दी, जिससे जनचित्रण भी उभरता दिख रहा है।
- सरकार पर दबाव—AAP की मांगों के कारण BJP विधायक और प्रशासन इस मामले पर प्रतिक्रिया देने को विवश होंगे—चाहे वह जांच आयोग, मुआवजा, आरोपी की कार्यवाही हो।
🔮 भविष्य की दिशा
- जुलाई 24 को देदियापाड़ा में AAP का अगला ‘जनसभा‑ए‑न्याय’ कार्यक्रम निर्धारित है, जहां सांसद चैतर वसावा की गिरफ्तारी को मुद्दा बनाकर आदिवासी वर्ग को भी साथ जोड़ा जा रहा है।
- AAP की मांगों को लेकर प्रशासन की प्रतिक्रिया और संभवतः विरोधी दलों की टिप्पणी, स्थिति को और दिलचस्प बनाएगी।
- अगले चुनावों में गुजरात में AAP की तर्ज पर चुनावी रणनीति बनाए जा रही है—जहाँ किसान‑पशुपालक की मंग और न्याय प्रमुख मुद्दा होगा।
✅ निष्कर्ष
AAP की किसान‑पशुपालक महापंचायत ने सामाजिक न्याय, आर्थिक सुरक्षा और सांविधानिक अधिकारों की मांग को जन‑आंदोलन के रूप में फिर से खड़ा किया है। जहाँ एक तरफ AAP की केंद्रीय नेतृत्व ने इस महापंचायत को राजनीतिक मोर्चा बनाने का प्रयास किया है, वहीं दूसरी ओर यह आयोजन उन किसानों‑पशुपालकों को आवाज़ देने की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम है, जो लंबे समय से अनदेखे पड़े हैं।
AAP की इस पहल ने गुजरात की राजनीति में बदलाव और नए समीकरणों की संभावना जगाई है। किसान‑पशुपालक वर्ग ने अपना विश्वास फिर जताया है कि उनकी समस्याएँ राजनीतिक मंच से उठाने योग्य हैं—”जब मांग जायज़ हो, तो सवाल क्यों खामोश रहें?”